निराकार साकार निर्विकार मन आत्मा बुद्धि विचार निराकार साकार निर्विकार मन आत्मा बुद्धि विचार
थपेड़े सहते-सहते सहम-सा गया हूं। मौन रहते-रहते मुखरित हो रहा हूं। थपेड़े सहते-सहते सहम-सा गया हूं। मौन रहते-रहते मुखरित हो रहा हूं।
अस्ति निर्धारित करते जो युगजीवन की चाल चेहरा चरित्र। अस्ति निर्धारित करते जो युगजीवन की चाल चेहरा चरित्र।
जिसकी कोख में सृजन हुआ वही हैं भाग्य विधाता। जिसकी कोख में सृजन हुआ वही हैं भाग्य विधाता।
भाग्य का अस्तित्व कहाँ, पुरुषार्थ ही तो भाग्य को अस्तित्व में लाया। भाग्य का अस्तित्व कहाँ, पुरुषार्थ ही तो भाग्य को अस्तित्व में लाया।
तन की डाली पर तबाही फल रही है। तन की डाली पर तबाही फल रही है।